सब अपने में खोये हैं
आज का युग ही ऐसा है
जिसको देखो सब अनोखे हैं
कुछ न कुछ हुनर तो सब के पास है
न जाने क्यों कुछ ज्यादा हैं शर्मीले हैं
वैसे ये अच्छी बात है
विनयशील होना आज तो अनोखी बात है
पर किसी की कद्र करने में क्यों हम पीछे हैं
किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट लाना बड़ी बात है
सब इसे जान कर भी अनमने से हैं
प्रशंसा सही करना है
झूठ में क्यों सब भरमाते हैं
प्रोत्साहन जी भर के करना है
पर सब सच का भी सामना तो करते हैं
मुस्कुराइए छोटी सी बातों पर
ठहाके लगाने से तो लोग अब डरते हैं।