Thursday, January 29, 2015

ब्रम्हांड में सबका अपना एक कोना है


ब्रम्हांड में सबका अपना एक कोना है

ह्रदय की धुरी में अनर्थ का गचना है
सशंकित हैं, फिर भी मन का रसना है ,
संक्षिप्त इस राह में तृष्णा है,
निश्चित हिं,
ब्रम्हांड में सबका अपना एक कोना है

त्रिशंकु बन कर रमना है
मोक्ष की आशा है, फिर भी माया के भंवर में बहना है
सत्कर्म, स्वार्थ का भंजक बन उपहास उड़ाना है,
निश्चित हिं,
ब्रम्हांड में सबका अपना एक कोना है

निश्चित ही यमधार का सामना है
फिर भी, नहीं कहीं मन्दाक्ष का गहना है
संकुचित जगत में असीम उड़ान है
निर्भय हो उस सत पथ पर जाना है
निश्चित हिं,
ब्रम्हांड में सबका अपना एक कोना है।

ह्रदय की धुरी में अनर्थ का गचना है
सशंकित हैं, फिर भी मन का रसना है ,
संक्षिप्त इस राह में तृष्णा है,
निश्चित हिं,
ब्रम्हांड में सबका अपना एक कोना है  

Wednesday, January 14, 2015

सब एकाकी हैं



सब एकाकी हैं

सब एकाकी हैं , क्या सुख दुःख के साथी हैं ?
मृत्यु के पथ पर इस जीवन में कौन अविनाशी है। 

अद्वितीय इस जगत के,
व्युह में जाने को सब आतुर हैं 
अजय कोई नहीं मृत्यु के सब संभावित हैं 
भीड़ में भी सब अतिजन के वासी हैं 
अंगारिणी के राह में अंतर्ज्ञान ही महारथी है 
सब एकाकी हैं , क्या सुख दुःख के साथी हैं ?

सरपट राह पर बाधाओं की बारिश है 
अपने अपने अधिगमन से,
अनट के अधिकारी हैं। 
चक्र में जो साथी है, वो कंसारी है। 
जो उसको जाने वो मनुष्य अविकारी है। 
सब एकाकी हैं , क्या सुख दुःख के साथी हैं ?

सब एकाकी हैं , क्या सुख दुःख के साथी हैं ?
मृत्यु के पथ पर इस जीवन में कौन अविनाशी है।