Sunday, December 30, 2012

शर्मसार

जो घटना घट  गया , अनहोनी कुछ हो गया ,
समाज के हि कुछ दरिंदो ने , 
एक ज़िन्दगी रौंद दिया .

सब हैं आक्रोश में , विचारों के झंझावात में,
न जाने या क्या हो गया ,
चुप थे सब पहले , खामोश रह कर सब सहते ,
पर इस हैवानियत ने , कर दिया सबको शर्मसार ,
समाज के हि कुछ दरिंदो ने,
एक ज़िन्दगी रौंद दिया।

आवाज जो उठी है आज,
पुकार रही इंसानियत को ,
और दे रही ललकार बदनीयत को,
तुमने रौंदा एक जिंदगी ,
नहीं सहेगी कोई अब ये दरिंदगी ,

पर हम भी कुछ सोचे ,
नारे लगाने से पहले मन में देखें 
सब हैं हमारे आस पास 
कितना सुनते हम दिल की आवाज  
अभी ये बात हुई , तो समाज की बात उठी .
पर इसी समाज से एक जिंदगी
रौंद दी गयी।

सोचें कुछ तो हम सोचें ,
या कहे करे , समाज की बेहतरी के लिए कुछ .
ताकि फिर न हो शर्मसार सभी