Sunday, December 30, 2012

शर्मसार

जो घटना घट  गया , अनहोनी कुछ हो गया ,
समाज के हि कुछ दरिंदो ने , 
एक ज़िन्दगी रौंद दिया .

सब हैं आक्रोश में , विचारों के झंझावात में,
न जाने या क्या हो गया ,
चुप थे सब पहले , खामोश रह कर सब सहते ,
पर इस हैवानियत ने , कर दिया सबको शर्मसार ,
समाज के हि कुछ दरिंदो ने,
एक ज़िन्दगी रौंद दिया।

आवाज जो उठी है आज,
पुकार रही इंसानियत को ,
और दे रही ललकार बदनीयत को,
तुमने रौंदा एक जिंदगी ,
नहीं सहेगी कोई अब ये दरिंदगी ,

पर हम भी कुछ सोचे ,
नारे लगाने से पहले मन में देखें 
सब हैं हमारे आस पास 
कितना सुनते हम दिल की आवाज  
अभी ये बात हुई , तो समाज की बात उठी .
पर इसी समाज से एक जिंदगी
रौंद दी गयी।

सोचें कुछ तो हम सोचें ,
या कहे करे , समाज की बेहतरी के लिए कुछ .
ताकि फिर न हो शर्मसार सभी 

Saturday, October 13, 2012



  हमर मोंन में 




अछी किछ बेचैनी मोंन में,
बुझु त किछ हलचल मोंन में ,
किछ कही नहि सकलौं इ अबूझ मोंन में ,
बुझु आहां किछ त हमार मोंन ,
आहां अपन मोंन में. 
आइब जाऊ ल क अपन संसार  हमर मोंन में . 

देखलौं वो मुस्कान बिटिया के अपन मोंन में ,
देखलौं वो मनुहार , वो दुलार अपन मोंन में ,
केलों याद हम आहां के बिटिया संग अपन मोंन में ,
आइब जाऊ ल क अपन संसार  हमर मोंन में .

अछी कतेक नेह आहां से,
कि कहु हम अपन मोंन में ,
एतेक दूर भेलौं आहां से ,
कि कहु हम अपन मोंन में,
बुझलौं इ थिक समयक फेर ,
भेल दुरी में भी स्नेह ,
कि कहु हम अपन मोंन में,
आइब जाऊ ल क अपन संसार  हमर मोंन में . 


Sunday, October 7, 2012


कुछ दिल के फ़साने बेक़रार 




बाते करनी थी तुम से कई हज़ार ,
कहने थे कुछ दिल के फ़साने बेक़रार ,
दूर हो तुम तो क्या कहे अब हम,
अब बस अपने ख्वाबों में ही 
कह दे दिल की बाते दो चार 


मेरी नन्ही सी मुस्कान 






मेरी नन्ही सी मुस्कान , जो है मेरा मन  प्राण ,
वो मेरी प्यारी बिटिया ,
मेरे जीवन की नयी पहचान ,
बन गयी है मेरा नया आधार, 
मेरी नन्ही सी मुस्कान , जो है मेरा मन  प्राण .

रच गयी है मेरे संसार में
ले आई जीवन में अरमानो कि नयी उड़ाने,
हम सबकी नयी अनुभूति 
हम सब कि नयी पहचान,
मेरी नन्ही सी मुस्कान , जो है मेरा मन  प्राण .

दिए हैं उसने जीने के नए आयाम,
देखना है उसके साथ कुछ नए रंगों को 
अब तो बस वही है, वही है,
हमारे अधरों कि मुस्कान   
मेरी नन्ही सी मुस्कान , जो है मेरा मन  प्राण 

हमारे लिए अब है सब कुछ वो,
रहे हमेशा खुश वो, 
हम सब कि प्यारी बिटिया 
हमारी नन्ही अरमान 
मेरी नन्ही सी मुस्कान , जो है मेरा मन  प्राण 




Saturday, September 22, 2012

निर्मल अद्भुत प्रत्यक्ष


निर्मल  अद्भुत  प्रत्यक्ष  



मैंने समझाया अपने आप को.
नहीं देख सकता उस अदृस्य को.
वो तो अद्भुत है , पालक है जगत का जो
उस अनंत परमेश्वर को 
नहीं देख सकता मैं , उस अदृश्य को.
जो है इस नश्वर संसार की सब बातो में.

की उसने रचना सबकी..
है जगत का कारक जो,
जिसने सबको है भरमाया,
उस निरंतर प्रकृति के सृजनहार को,
नहीं देख सकता उस अदृस्य को.
जो है इस नश्वर संसार की सब बातो में.

पर क्या सब नहीं हैं उसके 
प्रत्यक्ष प्रकृति के अनुपम  सृंगार  को
देख सकता हूँ उसके सारे उपहार को
उस निरंतर प्रकृति के सृजनहार को,
पर , नहीं देख सकता उस अदृस्य को.
जो है इस नश्वर संसार की सब बातो में.

रमा हुआ है जो ब्रम्हांड में 
योगियों के महायोग में,
और मुनियों के संसार में.
कोटि कोटि नित नूतन व्यवहार में 
नहीं देख सकता उस अदृस्य को.
जो है इस नश्वर संसार की सब बातो में.

वो है इस माया में 
वो है इस चराचर जगत के आधार में
वो है प्रकृति के सृंगार में
नर के नारायण में 
पर , नहीं देख सकता उस अदृस्य को
जो है इस नश्वर संसार की सब बातो में.

अभी नहीं समझा में इन गूढ़ बातों को
अभी नहीं जाना मैंने इस ज्ञान को
अभी तो समझने की कोशिश में हूँ अपने छोटे से संसार को
जो हर समय कुछ अनुभूति देता है ,
नए नए प्रयोग के आधार में 
नहीं देख सकता उस अदृस्य को
जो है इस नश्वर संसार की सब बातो में.

है वो सामान रूप से इस ब्रह्माण्ड में 
है मेरे आस पास हर समय अनेकों रूपों में
पर नहीं जान सकता उसे ,
दिए हैं अनगिनत अनुभूति 
दिए हैं विभिन्न विश्वासों के आधार 
और दिए हैं कितने अविश्वाश भी
नहीं देख सकता उस अदृस्य को
जो है इस नश्वर संसार की सब बातो में.

वो तो अमिट, अनंत , अनश्वर और न जाने क्या क्या है
वो तो हर जगह , समय से परे है.
देखने के लिए शायद मेरे पास नहीं है वो निर्मल विचार 
क्योंकि मैं मनुष्यों हूँ, दूषित विचारों से ग्रसित हूँ,
है वो निर्मल , है वो अद्भुत , है वो प्रत्यक्ष 
पर मैं हिं हूँ अपने विचरों और कर्मो से दूषित 
इसलिए नहीं देख सकता उस अदृस्य को
जो है इस नश्वर संसार की सब बातो में.

Sunday, September 16, 2012

इ बरखा में


इ बरखा में 

भेलौं अपन घर से दूर , रहलौं अपन गाम से दूर
भेल झमाझम बरखा कलिः राती 
और हम एकसार रहलौं अपन घर से दूर 
मोन पडल बिटिया हमर,
मोन पडल कनिया हमर 
और अपन सब परिवार
केलों याद हम सब भगवन के 
केलों याद हम अपन आधार के
भेलौं अपन घर से दूर , रहलौं अपन गाम से दूर 

इ रिमझिम बरखा में 
इ रिमझिम सावन भादों में
रहलौं एकसार  हम 
अपन गाम से दूर 
अपन भगवन से दूर
भेलौं अपन घर से दूर , रहलौं अपन गाम से दूर 

किछ ज्यादा हिं मोन अछी बेचैन 
किछ ज्यादा हिं आत्मा भी अछी बेचैन 
बड़ा हिं अद्भुत पीड़ा अछी
नहीं जनि इ की थिक
हम अखन धरी नहीं बुझ्लौं  
भेलौं अपन घर से दूर , रहलौं अपन गाम से दूर 

पुकार्लौं हम अपन द्रवित ह्रदय से 
नहीं जनि हमर पुकार सुन्लौं की नहीं 
नहीं जान्लौं की भेल 
गुम भेल हमर पुकार 
गुम भेल हमर विचार 
शुन्य में छि हम
नै जनि की भेल 
इ बरखा में 
भेलौं अपन घर से दूर , रहलौं अपन गाम से दूर 



Wednesday, August 15, 2012


  जश्न  आज़ादी 

15th August Cards

उन अनगिनत शहीदों को नमन , जो कर गए सर्व श्रेष्ट करम,
लुटा गए अपनी जिंदगी , और ,
दे गए मौका मानाने का  जश्न  आज़ादी  .

करे सराहना उनके सहस का एक सुर में
जो डूबा गए सूरज पश्चिम का, पूरब में ,
दिया हमे आजाद भारत , और
 दे गए मौका मानाने का जश्ने इ आज़ादी .

एक बार सोचे हम उन हालातो को ,
जब थे गुलाम हम हर बातों से ,
शहीदों ने लुटाया अपना सर्वस्व
दिए प्राण अपने मुस्किल हालातों में , और
 दे गए मौका मानाने का जश्ने इ आज़ादी .

हुआ आधी रात अरुणोदय नए भारत में ,
मिली थी जब आज़ादी , लाखों थी दुस्वारी,
निकले हम मुस्किल हालातों से, अपना परचुम लहराया , और
दे गए मौका मानाने का  जश्न  आज़ादी  .

हम निर्भर बने अन्न उत्पादन में ,
सक्षम बने प्रोद्योगिक कामो में ,
भेजा यान सुदूर अन्तरिक्ष में ,
परख लिया धरती चंद्रमा का ,
अब भेदेंगे रहस्य मंगल का ,
फक्र है हमे अपने इन कामो का , और
दे गए मौका मानाने का जश्न  आज़ादी

कार्य कई हैं अभी अधूरे , पर निश्चय हीं होंगे वो सरे पुरे ,
नई विधा नई दिशा देंगे ,
सपने जो है संजोये , नई उड़ान से होंगे वो भी पुरे ,
तभी हम फिर मनयेंगे नए जोश से  जश्न  आज़ादी  ,

कर लो उच्च कार्य  ऐसा , जो रहे देश हित में,
ठाण ले अपने मन में , हर कार्य हो जन हित में ,
करे याद उन शहीदों को , जो कर गए सर्व श्रेष्ट करम,
होगी सची राह तभी , जब रहे देश हित में हमारे करम ,
श्रधांजलि सच्ची तभी पूरी होगी उन शहीदों को ,
और हम मना पाएंगे वर्षों बरस जश्न से जश्न  आज़ादी  ,

उन अनगिनत शहीदों को नमन , जो कर गए सर्व श्रेष्ट करम,
लुटा गए अपनी जिंदगी , और ,
दे गए मौका मानाने का जश्न  आज़ादी