Friday, October 25, 2013

सुबह कि अलसाई धुप


                   सुबह कि अलसाई धुप


         सुबह कि अलसाई धुप में कुछ मीठी गर्मी है
         सुबह कि अलसाई धुप में कुछ मीठी सर्दी भी है .
       
          मौसम ने फिर से अपना रंग बदला है
          जाड़ों ने फिर से दस्तक दी है.
          प्रकृति ने अपनी कुछ उपहार लुटाये हैं .
          जो इन रंगों में छाए हैं .
       
          हम भी कुछ अपने दिल को समझाते हैं
         जो न जाने  उदासी में बदल जाते हैं
          मिले कुछ ऐसा इन वादियों में
        जो कर दे झंकृत मन को ,जो अलसाये हैं


         सुबह कि अलसाई धुप में कुछ मीठी गर्मी है
         सुबह कि अलसाई धुप में कुछ मीठी सर्दी भी है .

Thursday, September 19, 2013

पितृ पक्ष

आज से हिन्दू रीति के अनुसार पितृ पक्ष शुरु हो रहा है। हम अपने पूर्वजो को नमन करतें हैं और ये कामना करते हैं की उनके आशीर्वाद से हमारे जीवन में सुख शांति बनी रहे। निश्चय हि ये अपने आप में एक ऐसा मौका है की हम अपने परिवार को और उनसे जुड़े पुरानी बातो को समझ सके।

इस पक्ष के बाद दुर्गा पूजा आएगा और पर्व का सिलसिला शुरु  हो जायेगा। जहाँ पे एक नयी उमंग के साथ जीवन की नयी चेतना का अनुभव होता है।

Thursday, May 30, 2013

किछ उदासी



किछ उदासी

कि कहु , कि लिखु
मोंन के कोई भेद नहि , मोंन के कोई प्रपंच नहि .

किछ विचार नहि , किछ उल्लास नहि ,
अछी कतेक मनुहार , अछी कतेक प्यार
अछी नहि जानी कि व्यवहार
छी किछ व्यत्तिथ , छी किछ अनुतरित


मोंन नहीं उदास तथापि अछी किछ प्रयास
नहि जानी की मुदा
नहीं जनि की विचार

Monday, April 22, 2013





बिसरलौ सब किछ मनपसंद ,
छुटल नव पल्लव नव उमंग,
वो महुआ क मादक सुगन्ध ,
वो आमक मंजरिक सुवसित सुगन्ध ,


भोरक पुरबिया में रमल शीतल मंद पवन
ठेट दुपहरी के अंगार बनल सूरज क जलन
और रातिक चाँद के शीतल किरण 

Sunday, March 10, 2013

कुम्भ की भीड़

समाचार में पढ़ा की कुम्भ के मेले में बहुत लोग , ज्यादातर बूढ़े खो गए हैं और राहत शिविर में अपनों की आस में दिन बीता रहे हैं .  उसी परिप्रेक्ष्य में कुछ पंक्तिया मन में आई .


कुम्भ की भीड़ 

कुम्भ की भीड़, ढूंढे फिर भी हम अपना नीड़ 
छोड़ गए वो, क्या आयेंगे वापस,
अपनाएंगे फिर से क्या , हो कर अधीर .

निकले घर से पुण्य कमाने , गंगा में डुबकी लगाने 
धुल गए पाप फिर भी क्यों नहीं हैं वो गंभीर ,
क्या कमी नहीं खलेगी उन्हें हमारी ,
क्या वो रह पाएंगे ?
नहीं बहायेंगे वो भी नीर .

अब इन बूढी आँखों में , दर्द है, पानी है और मन है अधीर 
हम जिनको कहते थे अपना , जिनमे देखा जीवन अपना 
दिया उन्होंने हि पीर , नहीं बहायेंगे वो भी नीर 

बूढी आँखें , झुका तन , कोई अब आस नहीं 
अब तो आये यमराज हि, ले चले अपने पास ही 
पर छोड़ दिया या भूल गए इसका कोई जवाब नहीं .

कुम्भ की भीड़, ढूंढे फिर भी हम अपना नीड़ 
छोड़ गए वो, क्या आयेंगे वापस,
अपनाएंगे फिर से क्या , हो कर अधीर .


Saturday, February 16, 2013


शुभ कामना 

नयी अनुभूति, नयी इक्षा , 
है अब नयी प्रतीक्षा 
जीवन की होगी अब एक नयी परिभाषा 
मन में अब है नयी उमग , 
होने वाली हैं अब खुशियों की वर्षा .

कुछ नए ख्वाबों का खुलेगा दरवाजा 
कुछ सपने सच होने को है 
कुछ नए अनुभव का भी होगा सामना 
नृप श्री से जो मिलने वाली है दिव्या 
उस अवसर पर हो सौभाग्य की वर्षा 

Saturday, January 19, 2013

सर्द मौसम में बारिश झमाझम 

सर्द मौसम में बारिश झमाझम ,

देखलौ एहन बरखा और भिजल मोन .
प्रकृति रूप अपरूप और इ अबूझ मोन 
सर्द मौसम में बारिश झमाझम .

इ थिक मौसम के फेर ,
स्वागत नै क सकलौं बरखा के इ बेर ,
ठण्ड में रहलौं तन मन से इ बरखा से नज़र फेर 
इ थिक मौसम के फेर ,