Saturday, October 13, 2012



  हमर मोंन में 




अछी किछ बेचैनी मोंन में,
बुझु त किछ हलचल मोंन में ,
किछ कही नहि सकलौं इ अबूझ मोंन में ,
बुझु आहां किछ त हमार मोंन ,
आहां अपन मोंन में. 
आइब जाऊ ल क अपन संसार  हमर मोंन में . 

देखलौं वो मुस्कान बिटिया के अपन मोंन में ,
देखलौं वो मनुहार , वो दुलार अपन मोंन में ,
केलों याद हम आहां के बिटिया संग अपन मोंन में ,
आइब जाऊ ल क अपन संसार  हमर मोंन में .

अछी कतेक नेह आहां से,
कि कहु हम अपन मोंन में ,
एतेक दूर भेलौं आहां से ,
कि कहु हम अपन मोंन में,
बुझलौं इ थिक समयक फेर ,
भेल दुरी में भी स्नेह ,
कि कहु हम अपन मोंन में,
आइब जाऊ ल क अपन संसार  हमर मोंन में . 


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