Saturday, December 17, 2011

ख्वाब


ख्वाब


कुछ ख्वाब देखा है
कुछ धुंदली सी तस्वीर है 
कुछ जाना कुछ पहचाना
कुछ अपने कुछ बेगाने 
इस अनसुलझी सी पहेली में
खुद को देखा है ..
सब मिल रहा है 
लेकिन कुछ धोखा सा है 
ये ख्वाब एक देखा है ..

इक्षा है की उडु नील गगन पे 
तोड़ दुं सारे बंधन दुनिया के 
आज हूँ आजाद अपने ही मन से ..
सुन ले दुनिया ये आवाज है ..
मेरे अंतर्मन्न से ..

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