ख्वाब
कुछ ख्वाब देखा है
कुछ धुंदली सी तस्वीर है
कुछ जाना कुछ पहचाना
कुछ अपने कुछ बेगाने
इस अनसुलझी सी पहेली में
खुद को देखा है ..
सब मिल रहा है
लेकिन कुछ धोखा सा है
ये ख्वाब एक देखा है ..
इक्षा है की उडु नील गगन पे
तोड़ दुं सारे बंधन दुनिया के
आज हूँ आजाद अपने ही मन से ..
सुन ले दुनिया ये आवाज है ..
मेरे अंतर्मन्न से ..
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