घर हमर औ आहाँ क ,
कहु गाँव हमर औ आहाँ क,
सब किछ इ समय में हम छोड़ी एलौं,
नूतन बनब के प्रयास में,
जगत से कदम मिलाब के मिथ्या एहसास में,
छोरी एलौं,
हम घर अपन छोरी एलौं,
या कहु मोन-आत्मा-प्राण,
सब गिरवी राखि एलौं,
इ दुनिया के कदम ताल में,
घर हमर औ आहाँ क,
आब कीन्हौं नहि भेटैत,
वो अपन माईट के घर,
अपन प्राण छोड़ी एलौं।
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